Sunday, December 31, 2017

वस्त्र नगरी के सौरभ भट्ट 2018 में 20 वें कला मेले में बढ़ाएंगे अपनी कला का मान

वस्त्र नगरी के सौरभ भट्ट 2018 में 20 वें कला मेले में बढ़ाएंगे अपनी कला का मान भीलवाड़ा के प्रख्यात आर्टिस्ट एवं कला विश्लेषक सौरभ भट्ट अपनी कला का एकल प्रदर्शन (solo exhibition) जयपुर में आयोजित 20 वें कला मेले में करेंगे ! यह जानकारी आलोक आर्ट गैलरी के निदेशक श्री गोवेर्धन लाल जी भट्ट ने दी ! उन्होंने बताया कि राजस्थान ललित कला अकादेमी द्वारा 4 जनवरी से 8 जनवरी 2018 तक रविंद्र मंच पर 20 वे कला मेले का आयोजन किया जाएगा ! कला मेला में देश के कई सिद्ध-हस्त कलाकार शिरकत करेंगे ! समसामयिक व् वास्तविक विषयों के एक्सपर्ट सौरभ ने इस बार अपनी काला में नए प्रयोगों को शामिल किया हे ! सौरभ बताते हैं कि उनकी कलाकृति में उन्होंने हिरण्यगर्भ-ज्या, Vision (दृष्टि), Germination जर्मिनेशन (अंकुरण), Thinker (चिंतन)व् मातृत्व प्रेम आदि विषयों पर कलाकृति का निर्माण किया हे ! हाल ही बैंकॉक व् थाईलैंड में अपनी कला द्वारा भारत का मान बढ़ा चुके वस्त्र नगरी के सौरभ भट्ट बैंकाक में आर्ट विषयक सेमीनार और वर्कशॉप का भी आयोजन कर चुके हैं ! साथ ही आर्ट विश्लेषक के रूप में समसामयिक आर्ट और इसकी सामाजिक राष्ट्रीय उपयोगिता पर पत्र वाचन भी किया ! इससे पूर्व भी सौरभ स्थानीय स्तर से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के कई देशों में तक़रीबन 74 से ज्यादा आर्ट प्रदर्शनियॉ लगा चुके हैं ! यह भट्ट की 75 वी कला प्रदर्शनी हे ! कला मेले में राष्ट्रीय व् अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्यात कलाकारों के साथ ही कला और संस्कृति से जुड़े कई सम सामयिक विषयों पर वार्ताए आयोजित की जाएंगी ! जिसमे देश के कई नामी कलाकार और चिंतक भाग लेंगे ! वार्ताओं का दौर 5 जनवरी से 7 जनवरी तक रविंद्र मंच के मिनी ऑडिटोरियम में दोपहर 3 से शाम 5 बजे के बीच आयोजित किया जाएगा ! कला मेले के इतिहास में पहली बार भाषाई संस्कृति को भी शामिल किया गया है। इसके तहत विभिन्न संस्कृतियों में कला के योगदान पर चर्चाएं आयोजित की जाएंगी साथ ही इन संस्कृतियों में कला का क्या रूप है ये बताने के लिए उसी संस्कृति के कलाकारों के विषेष लाईव डेमोस्ट्रेषन भी आयोजित किए जाएंगे। समारोह में इस बार कला के क्षेत्र में योगदान देने वाले एक बुजुर्ग कलाकार को 51 हजार रूपए के लाइफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड से भी नवाजा जाएगा। Director ALOK ART GALLERY























Monday, December 18, 2017

उड़ान...

उड़ान...
आज फ़िर मन ने कहा, "चलो कुछ नया किया जाये। ऐसा कुछ जो पहले ना कभी किया ना कभी सोचा।"
तब लगा मैन मचलने, उछलने, नए ख़्वाबों की ऊँची उड़ाने लगा भरने। तब उड़ान और ऊँची और भी ऊंची होती गई। मानो ना किसी की तलाश, ना कोई आशा... लग रहा मानो ख़ुद को पंछी सा पंख पसारे, बिचारों की उड़ाने भरने को आतुर, फिर एक परिन्दा अपने जीवन की शुरुआत करने को आतुर...
सौरभ की कलम से...

उड़ान...

उड़ान...
आज फ़िर मन ने कहा, "चलो कुछ नया किया जाये। ऐसा कुछ जो पहले ना कभी किया ना कभी सोचा।"
तब लगा मैन मचलने, उछलने, नए ख़्वाबों की ऊँची उड़ाने लगा भरने। तब उड़ान और ऊँची और भी ऊंची होती गई। मानो ना किसी की तलाश, ना कोई आशा... लग रहा मानो ख़ुद को पंछी सा पंख पसारे, बिचारों की उड़ाने भरने को आतुर, फिर एक परिन्दा अपने जीवन की शुरुआत करने को आतुर...
सौरभ की कलम से...