Thursday, February 8, 2018

टेड़ी लकीरें

टेड़ी लकीरें
आज कुछ आढी टेड़ी लकीरों पर चलता चला..
न जाने कब उन गलियों तक जा पहुँचा...
जहाँ कभी परिंदे पंख फड़फड़ाया करते थे...

सौरभ की कलम से

(केनवस पर स्याही से)

An Enigmatic Personality

An Enigmatic Personality
(एक रहस्यमयी व्यक्तित्व)
एक ख़ास लम्हाँ,
जहाँ ज़िन्दगी की
आपाधापी से परे,
यार दोस्तों के साथ
गुजारे हसीं पल,
ज़िन्दगी के
यादगार पन्नों में समाहित-
-कुछ क्षण ।
ढूंढता रहा...
कभी दूर कभी पास...
न जाने किसकी तलाश...
सौरभ की कलम से...





जाने कब समझ आ गई...

लगता कुछ अध कच्चा पका सा
विचारों में यूँ फ़ँसा सा
उड़ान सी नई सोच लिए
मील का पत्थर हुए।
रोज़ आंखों में भोर लिए
चलता वह...
जाने तलाश किसकी...
तराशता कुछ अद्बुने सपने
पिरोता उन्हें,
खयालों के मुहिम तार में...
यकीन और यकीन में तब्दील हुआ जाता
जब सवेरे रोज़...
आंखों में भोर पाया जाता...
कुछ अलग कर गुजरने की उधेड़बुन,
जाने कब सीखा गई कोई नई धुन
तिनका तिनका समेटा,
सिरफ एक रैन के लिए
सौरभ की कलम से...
बस यूँ ही
जिन्दगी फिर कुछ सीखा गई
जाने कब समझ आ गई...












I may fill an entire life through my art style and It's been started... Sourabh bhatt

I may fill an entire life through my art style and It's been started...

Sourabh bhatt