Tuesday, May 11, 2021

UNLOCK your creativity* -“कल्पना शक्ति को कला जगत का नमन”

UNLOCK your creativity* -“कल्पना शक्ति को कला जगत का नमन”

A tribute to the legendary artist *Salvador Dali* on his *117th birth anniversary*

इमेजिनेशन अनलॉक

“कल्पना शक्ति को कला जगत का नमन”

कलाजगत में सल्वाडोर डाली सिर्फ एक नाम नहीं, अपितु कल्पना की शक्ति को अनलॉक करने की पूरी लाइब्रेरी है डाली। अवचेतन मन से चेतन को जागृत करने का एक मात्र रास्ता है डाली। किसी को क्या पता था कि 11 मई 1904 को एक ऐसे दौर का जन्म होगा जो सम्पूर्ण विश्व की कल्पना शक्ति को हिला कर रख देगा। करीब एक शताब्दी वर्ष पूर्व डाली ने अपनी कल्पना की शक्ति का विस्तार कर उसे अतियथार्थवाद अर्थात सेरेलिस्म में ढालना प्रारम्भ किया। यह दौर किसी भी दौर के आर्टिस्ट के लिए उसकी इमेजिनेशन पॉवर बढ़ाने का दौर था। और इस स्ट्रॉन्ग इमेजिनेशन पॉवर से कोई अछूता नहीं रहा। इस पॉवरफुल शैली में कार्य करने वाले भीलवाड़ा के कंटेम्परेरी आर्टिस्ट सौरभ भट्ट द्वारा करीब दो दशक पूर्व बनाई पेंटिंग्स की एक सीरीज़, जिसमें जीवन के सत्य को उजागर किया गया। भट्ट अपने गुरु कलाविद रमेश गर्ग और अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलागुरु अमित गंजू और नवीना गंजू के मार्गदर्शन में अपनी कला की बारीकियों को स्ट्रांग करने में सक्षम हुए हैं और साथ ही अपनी अनूठी कला को भी सशक्त इमेजिनेशन द्वारा एकरूप प्रदान कर पाएं है। डाली की कल्पना से प्रभावित हो भट्ट ने आज के बदलते परिवेश को अपनी कलाकृतियों में प्रतीकात्मक रूप से चित्रित किया है, जो समाज में फैली इस महामारी से रूबरू करवाती है। जिससे जीवन के मूल्यों का ज्ञान प्राप्त होता है। सौरभ भट्ट की बनाई "जीवन के सत्य" सब्जेक्ट पर आधारित पेंटिंग्स की सीरीज़ द्वारा सेरेलिस्ट आर्टिस्ट सल्वाडोर डाली को एक कलात्मक श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।

जैसा की एक कलाकार वही चित्रण करता है जो वह अपने इर्द-गीर्द अनुभव करता है, इसके लिए उसकी अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता ही एकमात्र उसकी कला यात्रा होती है। डाली ने भी उनके जीवन काल में स्ट्रॉन्ग इमेजिनेशन को सेरेलिस्टिक रूप दिया। 


उनकी चर्चित पेंटिंग "मेल्टिंग वॉच" और "जलता हुआ जिराफ" जैसी पेंटिंग्स ने मानो कलाकारों और कलाजगत के लिए एक अनूठा परन्तु रहस्य्मयी संभावनाओं का एक क्षेत्र खोला। जिसने न केवल दुनिया भर के दृश्य मंच पर अतियथार्थवाद और मनोविश्लेषण की अवधारणाओं को विकसित किया बल्कि व्यक्तिगत, रहस्यमय और भावनात्मक संभावनाओं को अपनी अनूठी शैली में चित्रित किया।



ठीक इसी प्रकार कंटेम्परेरी आर्टिस्ट सौरभ भट्ट ने भी अपनी कृतियों में "ट्रुथ ऑफ़ लाइफ (Truth of Life)" जैसे विषय को अपनी स्ट्रांग इमेजिनेशन से चित्रित किया। इसमें भट्ट ने अपनी अनूठी और नायाब कला-शैली के माध्यम से अवचेतन को व्यक्त करने के लिए ऑटोमैटिज़्म की सर्रेलिस्ट तकनीकों का उपयोग किया है। भट्ट ने अपनी कलाशैली के माध्यम से इस थॉट को भी क्रिएट किया कि, कला, कलाकार और कलात्मक क्षमता कई माध्यमों को पार कर सकती है परन्तु उसके लिए एक स्ट्रांग इमेजिनेशन की आवश्यकता होती है। इसी के माध्यम से भट्ट अपनी शैली में नित नए प्रयोग करते आये हैं। भट्ट की कलाकृतियों में पाब्लो पिकासो, जॉर्ज ब्रॉक, साल्वाडोर डाली, इम्प्रेसनिज़्म, एक्सप्रेसनिज़्म, सिम्बोलिस्म जैसे कई विश्व प्रख्यात कलाकारों की छवि देखी जा सकती है परन्तु भट्ट की कलाकृतियाँ इन सभी से पृथक हैं और आज के परिवेश से सम्बन्ध रखती है, जो उन्हें और उनकी कला को सभी से भिन्न कराती हैं। और यही भट्ट की पहचान भी है। भट्ट ने सल्वाडोर डाली की 117 वीं जयंती पर उनकी बनायी "जीवन के सत्य" सब्जेक्ट पर आधारित पेंटिंग्स की सीरीज़ द्वारा एक कलात्मक श्रद्धांजलि अर्पित की है।  दर्शको, पाठकों, और कलाप्रेमियों को डाली का एक सन्देश भी देना चाहते हैं कि प्रत्येक कलाकार प्रकृति का अनुकरण करता है चाहे वह किसी भी प्रकार की कला हो जैसे रंग-मंच, नृत्य, गायन, और फिर चाहे वो दृश्यकला हो। इन सभी ललित कलाओं में प्रकृति और समाज का ही अनुकरण किया जाता है। जो कि एक कलाकार के लिए सबसे महत्वपूर्ण पाठ होता है। वह इस अनुकरण अर्थात इमीटेशन, या यूँ कहा जाये की प्रकृति की नक़ल ही कला है। अर्थात जो लोग किसी चीज की नकल करना जानते हैं, वे कुछ भी पैदा कर सकते हैं। परन्तु इसके लिए कलाकार को उसके अवचेतन मन से चेतना को जाग्रत करना होगा, तभी एक सफल कलाकार के मायने पूर्ण होंगे।

" सफलता का रास्ता, निरंतर प्रयास... " -सौरभ की कलम से...

Title of the Painting: *Truth of Life*

Artist: *Sourabh Bhatt*

Medium: *Oil on Canvas*

Size: *36 "X 72"*




Sunday, May 9, 2021

माँ एक एहसास... Mother's Day 9th May 2021

  माँ एक एहसास...

Mother's Day 9th May 2021

http://bhilwarasamwad.com/14795


माँ, जिसने बचपन में बहुत कुछ सिखलाया, सही गलत की सीख़ दी |

परन्तु जब होश सम्भाला, बहुत देर हो चुकी थी।

अब वो मेरे पास नहीं थी। था तो उसका एक मीठा और रूहानी एहसास...


आज सब मना रहे मदर्स डे... पर मैं क्या करूँ... यही असमंजस सालों से मेरे अंदर है।

मुझे तब समज नहीं आया कि वह क्या था...

यह खालीपन... अकेलापन... मैं समझ ही नहीं पा रही थी कि मेरे साथ यह हो क्या रहा है...

परन्तु कुछ समय बाद...


मुझे माँ बनने का सौभाग्य मिला। मानों मेरी ख़ुशी की कोई सीमा न थी...

उसके मुलायम हाथों ने मेरी उँगलियों को अपनी मुट्ठी में पकड़ रखा था |

मुझे तब वह एहसास हुआ... जिसकी मेरे जीवन में एक कमी सी थी।


जब उसे पहली बार अपने सीने से लगाया... तो यूँ लगा...

लगा जैसे जीवन बस यहीं ठहर जाए।

यह वह एहसास था जिसने मुझे अपने आप से रूबरू कराया।

उसके मीठे स्वरों ने पहली बार माँ होने का एहसास कराया।

मेरे लिए उस पल को कैद करना मुश्किल था।

परन्तु, मेरी कूँची ने उस पल को फिर से जीवंत कर दिया...


आज जीवन के मायने ही बदल से गए हैं। जहाँ जीने के लिए रोटी, कपड़ा, और मकान महत्वपूर्ण हुआ करते थे, आज जरूरतों ने रुख बदल लिया और इनकी बजाये अब स्वांसों (ऑक्सीजन) ने ले ली है।  जिन्हें संभाल पाना मुश्किल सा नजर आता है। इस सब बदलते परिवेश में रिश्तों ने भी अपना असर दिखाना शुरू किया है जो की वर्षों से चली आ रही कोई नयी बात नहीं, परन्तु आज भी एक रिश्ता है जिसे बदलना असंभव है। वह है "माँ"। "माँ" एक अपनत्व का एहसास है, एक सहारे का एहसास, यह एक एहसास ही तो है जो हर मुसीबत से बहार निकाल लेता है। यह मात्र एक शब्द है परन्तु सम्पूर्ण श्रष्टि इसमें समायी है।

इस महामारी के बीच आज हम सब घरों में कैद हैं। परन्तु अंदर की बात तो यह कि क्या वाकई हम अपने आप को क़ैद मानते हैं ? शायद इसका जवाब हम सभी के पास है। इस पुरे लॉक-डाउन समय में फ्रंट-लाइन वॉरियर के साथ शायद किसी का ध्यान एक व्यक्ति पर नहीं गया, वह है "माँ"।

इसी अनुभूति को कंटेम्परेरी आर्टिस्ट सौरभ भट्ट ने अपनी पेन्टिंग में चित्रित किया है। इस पेंटिंग में भट्ट ने उस एहसास को चित्रित किया जिसे सिर्फ एक माँ और उसका शिशु ही महसूस कर सकता है। दिल की गहराइयों को छू जाने वाली यह नायाब कलाकृति राजा रवि वर्मा आदरांजलि नेशनल आर्ट एक्सिबिशन में भी कलाकारों और कला-प्रेमियों के आकर्षण का केंद्र रह चुकी है। 

इस कलाकृति में सौरभ भट्ट ने मातृत्व प्रेम को बखूबी ब्लैक एंड वाइट कलर्स और टेक्सचर्स से सजाया है। इस पेंटिंग से भट्ट यह भी सन्देश देना चाहते हैं कि समाज में प्रत्येक व्यक्ति को प्रत्येक स्त्री के प्रति आदर-सम्मान की भावना को जाग्रत करना होगा, तभी समाज सुढ़ृड़ एवं सशक्त बन पायेगा। इसी अनुभूति को सर्वोपरि मान भट्ट ने अपनी कल्पनाको कैनवास पर चित्रित किया है।


Title of the Painting: माँ
Artist: Sourabh Bhatt
Medium: Oil on Canvas
Size: 30" X 30"



Sourabh Bhatt

An Indian Artist, Writer, and Director of

ALOK ART GALLERY


Thursday, May 6, 2021

एक प्रयास... Article published 2021

एक प्रयास... Article published 2021

I am happy to share with you, this is the first time, being a writer and one of my favorite articles is *"एक प्रयास..."* along with visuals (which were captured by me) published in *"आत्मा की ज्वाला"* newspaper and another e-paper published this article in their digital paper *"PRESSNOTE.in"*, and encouraged me as an honor for my extraordinary talent.

इस चहों दिशाओं फैले दुःख भरे बादलों में से यह एक खुशी की फुँहार ही तो है जिसने मैं, आप और हम सभी को सुअवसर प्रदान किया, ताकि इस मूल्यवान समय को गवाए बिना, प्रत्येक जन अपनी प्रतिभा के अनुसार कई नए अवसरों को पैदा कर सके, और खुश रहने की वजह तलाश सके। 

शायद इस लेख से किसी एक के जीवन में फिर नई जीने की आस जाग उठे। इसीलिए जो मैं महसूस करता हूँ, वह मैं लिखता हूँ, हर दिन, हर पल, करता हूँ फिर एक प्रयास...

अगर आपको मेरा यह "एक प्रयास..." पसंद आता है तो मुझे लिख भेजिए। आपको मेरे विचार कैसे लगते हैं मुझे जरूर बताइये।

आज के लिए बस इतना ही। कल फिर नए विचार, नए थॉट के साथ...

फिर एक बार,

सौरभ की कलम से...





 https://www.pressnote.in/Literature_News_439710.html

Wednesday, May 5, 2021

एक छोटा सा प्रयास... सौरभ की कलम से...

   एक छोटा सा प्रयास... सौरभ की कलम से...


सारे दुःख दूर हो जाएंगे ... 

सब ठीक हो जाएगा...

खुशियाँ फिर से लौट आएंगीं... 

इन सब बातों से ही तो हम पगला से गए हैं। 

असल में यही सब कारण ही तो हैं दुखी होने के...


इन्हीं सभी भ्रमों को ही तो हमारे जीवन से हमें दूर निकाल फैंकना है। 


वास्तव में एक छोटे से प्रयास से जीवन में बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। 

प्रयास ऐसा कि जिसे करने से आपका मन प्रसन्न हो, जैसे अगर मन करे तो घर की बगिया के पौधों से मन की बात-चीत की जाए, और कोशिश करें उनकी बात को भी सुना जाए। भले ही आप उन्हें सुन नहीं पा रहे हों, परन्तु आपको एक छोटे से प्रयास से अपने मन को ज़रा सा बहलाना है, कि आप उन्हें सुनने की कोशिश कर रहे हैं, और उन्हें सुन भी रहे हैं। यहीं से आप उनकी आवाज़ तक ही नहीं बल्कि उनके मन तक भी पहुँच पाएंगे। ऐसा करने से हो सकता है कि कुछ समय आपका व्यर्थ चला जाये, परन्तु आप महसूस करेंगे कि आपको एक अलग ही अनुभूति हो रही है, जिसे आप सभी को बताना भी चाहेंगे। यही तो आपको करना है। अपनीं खुशियाँ ही तो बटोरनी है और उसे बांटना है, अपनों के संग। और अगर बघिया ही नहीं है घर में तो, चलिए बघिया ही लगाई जाए। अब यह मुश्किल काम कैसे हो ? इसके लिए घर की ही कुछ चीजों का इस्तेमाल किया जा सकता है जैसे आप आलू, भिंडी, मिर्च, धनियाँ, टमाटर और सौंफ़ जैसे आसान से प्रयोग से अपनी बगिया को तैयार कर सकते हैं। ऐसा करने से आप न केवल अपनी बगिया तैयार करेंगे बल्कि अपनी खुशियों की बगिया भी तैयार कर रहे हैं।

याद रखिये मन प्रसन्न तो सारे दुःख दूर हो जायेंगे, सिर्फ एक छोटे से प्रयास से... 


अगर आपको यह "एक छोटा सा प्रयास..." जो कि "सौरभ की कलम से..." डायरी से लिया गया है, पसंद आया तो मुझे लिख भेजिए। आपको मेरे विचार कैसे लगते हैं जरूर बताइये। 


आज के लिए बस इतना ही। कल फिर नए विचार, नए थॉट के साथ... 


फिर एक बार,

सौरभ की कलम से...

5 मई, 2021. बुधवार










Tuesday, August 25, 2020

पूर्ण माटी से बनी गणेश जी की मूर्ति के लिए संपर्क करें।

 अपनो के साथ इस उत्सव को महा-उत्सव में बदलने के लिए, आज ही,

पूर्ण माटी से बनी गणेश जी की मूर्ति के लिए संपर्क करें। +91-9166643006 & +91-7891519035

Wednesday, August 19, 2020

Mitti ke Ganesh 100 % pure mitti. 2020

 Mitti ke Ganesh 100 % pure mitti. 2020

Let's promote "Vocal for Local"

Bring home this Ganeshotsav. "माटी के गणेश" An idol as pure and unique as your faith. Every idol is made with pure river clay, unmoulded and solo. To get this idol Contact us: 9166643006 & 7891519035 इस गणेशोत्सव, घर में ही करें गणेश जी की स्थापना। करें श्री गणेश जी की आराधना, पूर्ण भक्ति और मन से... पूर्णतया शुद्ध नदी की मिट्टी तथा हस्त-निर्मित मूर्ति के लिए आज ही संपर्क करें। +91-9166643006 & +91-7891519035

Friday, July 17, 2020

Making CAS Connection with Visual Art


LOGO
SANGAM SCHOOL OF EXCELLENCE
Making CAS Connection




Session: 2019-2021                                                                Date: 16th July 2020
Teacher: Sourabh Bhatt                                                      Class: 12 IB                 
Subject: Visual Art HL                   
Unit Number: 2
Unit Name: (Innovative Art (Experimental Art) Component-3(Exhibition)

Teacher’s Understanding
Element of TOK (if any)
Experimental Art is a media-based (Material based) study that focuses on Visual Art practices, which includes abstract arts, motion Paintings, Op Art, Pop Art, Indian Tradition, and folk Painting. Students can develop a work of art by using or supporting elements of design, making a painting with the line, color, shape, tone, and texture. By exploring more, students can or develop their photography skills assignments to interpret the rhythm in abstractionism.
For this, Art lectures/ Workshops are going to be conducted in acrylics, oils, watercolors, soft pastels, and oil pastels colors. they can use these variable media or they can use it together and apply on the puna handmade sheet, ivory sheet, canvas, canvas board, and paper. They can use different elements, explore it, and convert a new design and investigate it into abstraction.
Student works will be supported by investigations into different artists working with the same themes.



Points of Discussion
1.      Students will create an art piece like art poster/video/ppt presentation / quick clip / write on their blog / publish their article or any artwork on the local newspapers to aware of the society for excellent care of the public place and clean the society.
2.      They will provide the safety mask to the local community and do what they need, help those who cannot survive in this epidemic period.

Coordinator’s Recommendations/ Suggestion
Element of TOK (if any)
1.      The student will organize an e-art exhibition (creativity) for the sale of some of her artworks; the money will be used for social work.
2.      The generated money will help needy people and arrange food for them.
3.       
4.