https://padlet.com/srbhbhatt/Sangam_Digital_Art_Exhibition_2021
Wednesday, May 26, 2021
Saturday, May 15, 2021
Picasso Painting Sells For $103 Million In New York: Auction House
Picasso Painting Sells For $103 Million In New York: Auction House
15th May 2021
न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य अमेरिका:
पाब्लो पिकासो की "वूमन सिटिंग नियर ए विंडो (मैरी-थेरेसी)" गुरुवार को न्यूयॉर्क में क्रिस्टीज में $ 103.4 मिलियन में नीलाम।
दुनिया के सबसे बड़े ऑक्शन हाउस क्रिस्टी में, पिकासो द्वारा 1932 में बनाई इस पेंटिंग की 90 मिलियन डॉलर से बोली शुरू हुई और मात्र 19 मिनट में ही नीलाम हो गई, जो फीस और कमीशन जोड़े जाने पर बढ़कर 103.4 मिलियन डॉलर हो गई। नीलामी से पूर्व क्रिस्टी का यह सोचना था कि या पेंटिंग 55 मिलियन डॉलर में बिकेगी। परन्तु सदी के महान पेंटर पिकासो की इस पेंटिंग की बिक्री से मनो इस कोविड -19 महामारी के बावजूद कला बाजार की जीवन शक्ति की पुष्टि कर दी है। साथ ही पिकासो की अहमियत्ता को भी बढ़ाया है। क्रिस्टीज, अमेरिका के अध्यक्ष -बोनी ब्रेनन ने कहा, "गुरुवार की इस नीलामी में कुल $ 481 मिलियन नीलामी का आम तौर पर अच्छा प्रदर्शन, और सामान्य रूप से कला जगत और कला बाजार में यह वास्तविक वापसी का संकेत है और यह भी एक संदेश है कि कला बाजार वास्तव में पटरी पर है।" पिकासो की एक पेंटिंग young mistress and muse, Marie-Therese Walter, पेंटिंग को केवल आठ साल पहले लंदन की बिक्री में 28.6 मिलियन पाउंड (लगभग $ 44.8 मिलियन) में खरीदा गया था, जो गुरुवार को दी गई कीमत से आधे से भी कम थी। स्पेनिश चित्रकार द्वारा बनाई पांच कृतियों ने अब 100 मिलियन डॉलर की प्रतीकात्मक सीमा को पार कर लिया है। इस नीलामी से पहले भी पिकासो शीर्ष पर पहले से ही ("Women of Algiers", which holds the record for a Picasso, at $179.4 million in 2015) नंबर एक पर हैं।
आलोक आर्ट गैलरी के निदेशक एस. भट्ट ने जानकारी में बताया कि, दो वर्षों में यह पहली बार है कि 1890 के क्लाउड मोनेट "म्यूल्स" पेंटिंग के बाद से किसी काम ने 100 मिलियन डॉलर का आंकड़ा तोड़ा है, सोथबी में भी न्यूयॉर्क में $ 110.7 मिलियन तक पहुंच गया है। मंगलवार को भी, अमेरिकी चित्रकार Jean-Michel Basquiat (जीन-मिशेल बास्कियाट) की पेंटिंग "इन दिस केस" क्रिस्टीज में $93.1 मिलियन में बिकी, जो कि पहली बड़ी स्प्रिंग बिक्री थी, जो नीलामी की दुनिया की दो सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है।
Sourabh Bhatt
Alok Art Gallery
Thursday, May 13, 2021
A tribute to great artist Georges Braque by Sourabh Bhatt
A tribute to great artist Georges Braque by Sourabh Bhatt
अनलॉक क्रिएटिविटी
"परसेप्शन" - जॉर्ज ब्राक को कलाजगत का नमन।
नवीन प्रयासों में निरन्तर लीन रहने वाले अक्सर नवीन पथ की तलाश कर ही लेते हैं।
ऐसे ही आधुनिक विचारों को अपने प्रयोगों से सार्थक किया 20 वीं सदी के फ्रेंच कलाकार
जॉर्ज ब्राक ने। सरल व्यक्तित्व, दूर दृष्टि और अथक प्रयास, काफी है किसी के अस्तित्व
को तैयार करने के लिए। करीब एक शताब्दी पूर्व, 13 मई, 1882 को जॉर्ज ब्राक का जन्म
हुआ जिसने कलाजगत में नित नए प्रयोगों से अपनी कला को समाज में स्थापित किया। कला के
इतिहास में ब्राक का सबसे महत्वपूर्ण योगदान 1905 से फौविज़्म के साथ उनके गठबंधन से
हुआ। और उन्होंने अपनी कला से क्यूबिज़्म के विकास में एक अलग भूमिका निभाई। जो की
उस समय के चित्रकार पाब्लो पिकासो की निकटता से 1908 और 1912 के बीच उनके साथ जुड़ा
रहा। 1916 के अंत में ब्राक ने इस नवीन शैली को सुढ़ृड़ किया और क्यूबिज़्म के कठोर अमूर्तन
को मॉडरेट करना प्रारम्भ किया। उन्होंने एक और अधिक व्यक्तिगत शैली विकसित की, जो शानदार
रंग, बनावट वाली सतहों की विशेषता थी। उन्होंने इस समय के दौरान जीवन के कई विषयों
को चित्रित किया, और रंग, रेखा, और फॉर्म्स की संरचना पर अपना जोर बनाए रखा। और ब्राक
ने क्यूबिज़्म की एक स्वतंत्र शैली का प्रदर्शन किया, और निरूपण की अपनी शैली को लगातार
सुदृढ़ किया, और अपने कार्यों में अतियथार्थवादी विचारों को शामिल किया।
ठीक इसी प्रकार कंटेम्परेरी आर्टिस्ट सौरभ भट्ट ने ब्राक शैली से प्रभावित हो अपनी
कृतियों में "दूर दृष्टि" और "एक विज़न" जैसे सशक्त विषयों को चित्रित
किया। भट्ट ने अपनी कृतियों में लाइन, रंग, और फॉर्म्स के साथ तीन आयामी संरचना को
ब्राक शैली से बहुत ही अलग अंदाज़ में चित्रित किया। साथ ही भट्ट की शैली में प्रतीकात्मक
संरचना (सिम्बोलिकल फॉर्म्स) को बहुत ही कलात्मक रूप से प्रस्तुत किया। भट्ट की एक
कलाकृति "परसेप्शन" जिसमें मानवाकृति
को तीन आयामी ज्यामितीय और प्रतीकात्मक रूप से चिन्हित किया गया है, जो की भट्ट की
इस शैली को ब्राक शैली से पृथक करता है। साथ ही इस शैली में भट्ट की सम्पूर्ण कला शिक्षा
और सशक्त कल्पना शक्ति उन्हें आज के कलाकारों से भिन्न कराती है।
भट्ट ने अपनी अनूठी परन्तु नायाब कलाकृतियों के निर्माण से जॉर्ज ब्राक की 139
वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की है। भट्ट की यह कलाशैली राजस्थान ललित कला अकादेमी
द्वारा देश की प्रसिद्द जहाँगीर आर्ट गैलरी में भी प्रदर्शित की जा चुकी है।
" सफलता का मंत्र, निरंतर प्रयास..." -सौरभ की कलम से...
"परसेप्शन" - जॉर्ज ब्राक को कलाजगत का नमन13.05.2021
Date: 13.05.2021
अनलॉक क्रिएटिविटी
"परसेप्शन" - जॉर्ज ब्राक को कलाजगत का नमन।
नवीन प्रयासों में निरन्तर लीन रहने वाले अक्सर नवीन पथ की तलाश कर ही लेते हैं। ऐसे ही आधुनिक विचारों को अपने प्रयोगों से सार्थक किया 20 वीं सदी के फ्रेंच कलाकार जॉर्ज ब्राक ने। सरल व्यक्तित्व, दूर दृष्टि और अथक प्रयास, काफी है किसी के अस्तित्व को तैयार करने के लिए। करीब एक शताब्दी पूर्व, 13 मई, 1882 को जॉर्ज ब्राक का जन्म हुआ जिसने कलाजगत में नित नए प्रयोगों से अपनी कला को समाज में स्थापित किया। कला के इतिहास में ब्राक का सबसे महत्वपूर्ण योगदान 1905 से फौविज़्म के साथ उनके गठबंधन से हुआ। और उन्होंने अपनी कला से क्यूबिज़्म के विकास में एक अलग भूमिका निभाई। जो की उस समय के चित्रकार पाब्लो पिकासो की निकटता से 1908 और 1912 के बीच उनके साथ जुड़ा रहा। 1916 के अंत में ब्राक ने इस नवीन शैली को सुढ़ृड़ किया और क्यूबिज़्म के कठोर अमूर्तन को मॉडरेट करना प्रारम्भ किया। उन्होंने एक और अधिक व्यक्तिगत शैली विकसित की, जो शानदार रंग, बनावट वाली सतहों की विशेषता थी। उन्होंने इस समय के दौरान जीवन के कई विषयों को चित्रित किया, और रंग, रेखा, और फॉर्म्स की संरचना पर अपना जोर बनाए रखा। और ब्राक ने क्यूबिज़्म की एक स्वतंत्र शैली का प्रदर्शन किया, और निरूपण की अपनी शैली को लगातार सुदृढ़ किया, और अपने कार्यों में अतियथार्थवादी विचारों को शामिल किया।
ठीक इसी प्रकार कंटेम्परेरी आर्टिस्ट सौरभ भट्ट ने ब्राक शैली से प्रभावित हो अपनी कृतियों में "दूर दृष्टि" और "एक विज़न" जैसे सशक्त विषयों को चित्रित किया। भट्ट ने अपनी कृतियों में लाइन, रंग, और फॉर्म्स के साथ तीन आयामी संरचना को ब्राक शैली से बहुत ही अलग अंदाज़ में चित्रित किया। साथ ही भट्ट की शैली में प्रतीकात्मक संरचना (सिम्बोलिकल फॉर्म्स) को बहुत ही कलात्मक रूप से प्रस्तुत किया। भट्ट की एक कलाकृति "परसेप्शन" जिसमें मानवाकृति को तीन आयामी ज्यामितीय और प्रतीकात्मक रूप से चिन्हित किया गया है, जो की भट्ट की इस शैली को ब्राक शैली से पृथक करता है। साथ ही इस शैली में भट्ट की सम्पूर्ण कला शिक्षा और सशक्त कल्पना शक्ति उन्हें आज के कलाकारों से भिन्न कराती है।
भट्ट ने अपनी अनूठी परन्तु नायाब कलाकृतियों के निर्माण से जॉर्ज ब्राक की 139 वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की है। भट्ट की यह कलाशैली राजस्थान ललित कला अकादेमी द्वारा देश की प्रसिद्द जहाँगीर आर्ट गैलरी में भी प्रदर्शित की जा चुकी है।
" सफलता का मंत्र, निरंतर प्रयास..." -सौरभ की कलम से...
Warm Regards
Painting: Perception
SOURABH BHATT with GEORGES BRAQUE
Sourabh Bhatt
Artist / Writer / Director
Alok Art Gallery and
Alok Lalit Kala Sansthan
Tuesday, May 11, 2021
UNLOCK your creativity* -“कल्पना शक्ति को कला जगत का नमन”
UNLOCK your creativity* -“कल्पना शक्ति को कला जगत का नमन”
A tribute to the legendary artist *Salvador Dali* on his *117th birth anniversary*
इमेजिनेशन अनलॉक
“कल्पना शक्ति को कला जगत का नमन”
कलाजगत में सल्वाडोर डाली सिर्फ एक नाम नहीं, अपितु कल्पना की शक्ति को अनलॉक करने की पूरी लाइब्रेरी है डाली। अवचेतन मन से चेतन को जागृत करने का एक मात्र रास्ता है डाली। किसी को क्या पता था कि 11 मई 1904 को एक ऐसे दौर का जन्म होगा जो सम्पूर्ण विश्व की कल्पना शक्ति को हिला कर रख देगा। करीब एक शताब्दी वर्ष पूर्व डाली ने अपनी कल्पना की शक्ति का विस्तार कर उसे अतियथार्थवाद अर्थात सेरेलिस्म में ढालना प्रारम्भ किया। यह दौर किसी भी दौर के आर्टिस्ट के लिए उसकी इमेजिनेशन पॉवर बढ़ाने का दौर था। और इस स्ट्रॉन्ग इमेजिनेशन पॉवर से कोई अछूता नहीं रहा। इस पॉवरफुल शैली में कार्य करने वाले भीलवाड़ा के कंटेम्परेरी आर्टिस्ट सौरभ भट्ट द्वारा करीब दो दशक पूर्व बनाई पेंटिंग्स की एक सीरीज़, जिसमें जीवन के सत्य को उजागर किया गया। भट्ट अपने गुरु कलाविद रमेश गर्ग और अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलागुरु अमित गंजू और नवीना गंजू के मार्गदर्शन में अपनी कला की बारीकियों को स्ट्रांग करने में सक्षम हुए हैं और साथ ही अपनी अनूठी कला को भी सशक्त इमेजिनेशन द्वारा एकरूप प्रदान कर पाएं है। डाली की कल्पना से प्रभावित हो भट्ट ने आज के बदलते परिवेश को अपनी कलाकृतियों में प्रतीकात्मक रूप से चित्रित किया है, जो समाज में फैली इस महामारी से रूबरू करवाती है। जिससे जीवन के मूल्यों का ज्ञान प्राप्त होता है। सौरभ भट्ट की बनाई "जीवन के सत्य" सब्जेक्ट पर आधारित पेंटिंग्स की सीरीज़ द्वारा सेरेलिस्ट आर्टिस्ट सल्वाडोर डाली को एक कलात्मक श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।
जैसा की एक कलाकार वही चित्रण करता है जो वह अपने इर्द-गीर्द अनुभव करता है, इसके लिए उसकी अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता ही एकमात्र उसकी कला यात्रा होती है। डाली ने भी उनके जीवन काल में स्ट्रॉन्ग इमेजिनेशन को सेरेलिस्टिक रूप दिया।
ठीक इसी प्रकार कंटेम्परेरी आर्टिस्ट सौरभ भट्ट ने भी अपनी कृतियों में "ट्रुथ ऑफ़ लाइफ (Truth of Life)" जैसे विषय को अपनी स्ट्रांग इमेजिनेशन से चित्रित किया। इसमें भट्ट ने अपनी अनूठी और नायाब कला-शैली के माध्यम से अवचेतन को व्यक्त करने के लिए ऑटोमैटिज़्म की सर्रेलिस्ट तकनीकों का उपयोग किया है। भट्ट ने अपनी कलाशैली के माध्यम से इस थॉट को भी क्रिएट किया कि, कला, कलाकार और कलात्मक क्षमता कई माध्यमों को पार कर सकती है परन्तु उसके लिए एक स्ट्रांग इमेजिनेशन की आवश्यकता होती है। इसी के माध्यम से भट्ट अपनी शैली में नित नए प्रयोग करते आये हैं। भट्ट की कलाकृतियों में पाब्लो पिकासो, जॉर्ज ब्रॉक, साल्वाडोर डाली, इम्प्रेसनिज़्म, एक्सप्रेसनिज़्म, सिम्बोलिस्म जैसे कई विश्व प्रख्यात कलाकारों की छवि देखी जा सकती है परन्तु भट्ट की कलाकृतियाँ इन सभी से पृथक हैं और आज के परिवेश से सम्बन्ध रखती है, जो उन्हें और उनकी कला को सभी से भिन्न कराती हैं। और यही भट्ट की पहचान भी है। भट्ट ने सल्वाडोर डाली की 117 वीं जयंती पर उनकी बनायी "जीवन के सत्य" सब्जेक्ट पर आधारित पेंटिंग्स की सीरीज़ द्वारा एक कलात्मक श्रद्धांजलि अर्पित की है। दर्शको, पाठकों, और कलाप्रेमियों को डाली का एक सन्देश भी देना चाहते हैं कि प्रत्येक कलाकार प्रकृति का अनुकरण करता है चाहे वह किसी भी प्रकार की कला हो जैसे रंग-मंच, नृत्य, गायन, और फिर चाहे वो दृश्यकला हो। इन सभी ललित कलाओं में प्रकृति और समाज का ही अनुकरण किया जाता है। जो कि एक कलाकार के लिए सबसे महत्वपूर्ण पाठ होता है। वह इस अनुकरण अर्थात इमीटेशन, या यूँ कहा जाये की प्रकृति की नक़ल ही कला है। अर्थात जो लोग किसी चीज की नकल करना जानते हैं, वे कुछ भी पैदा कर सकते हैं। परन्तु इसके लिए कलाकार को उसके अवचेतन मन से चेतना को जाग्रत करना होगा, तभी एक सफल कलाकार के मायने पूर्ण होंगे।
" सफलता का रास्ता, निरंतर प्रयास... " -सौरभ की कलम से...
Title of the Painting: *Truth of Life*
Artist: *Sourabh Bhatt*
Medium: *Oil on Canvas*
Size: *36 "X 72"*
Sunday, May 9, 2021
माँ एक एहसास... Mother's Day 9th May 2021
Mother's Day 9th May 2021
http://bhilwarasamwad.com/14795
माँ, जिसने बचपन में बहुत कुछ सिखलाया, सही गलत की सीख़ दी |
परन्तु जब होश सम्भाला, बहुत देर हो चुकी थी।
अब वो मेरे पास नहीं थी। था तो उसका एक मीठा और रूहानी एहसास...
आज सब मना रहे मदर्स डे... पर मैं क्या करूँ... यही असमंजस सालों से मेरे अंदर है।
मुझे तब समज नहीं आया कि वह क्या था...
यह खालीपन... अकेलापन... मैं समझ ही नहीं पा रही थी कि मेरे साथ यह हो क्या रहा है...
परन्तु कुछ समय बाद...
मुझे माँ बनने का सौभाग्य मिला। मानों मेरी ख़ुशी की कोई सीमा न थी...
उसके मुलायम हाथों ने मेरी उँगलियों को अपनी मुट्ठी में पकड़ रखा था |
मुझे तब वह एहसास हुआ... जिसकी मेरे जीवन में एक कमी सी थी।
जब उसे पहली बार अपने सीने से लगाया... तो यूँ लगा...
लगा जैसे जीवन बस यहीं ठहर जाए।
यह वह एहसास था जिसने मुझे अपने आप से रूबरू कराया।
उसके मीठे स्वरों ने पहली बार माँ होने का एहसास कराया।
मेरे लिए उस पल को कैद करना मुश्किल था।
परन्तु, मेरी कूँची ने उस पल को फिर से जीवंत कर दिया...
आज जीवन के मायने ही बदल से गए हैं। जहाँ जीने के लिए रोटी, कपड़ा, और मकान महत्वपूर्ण हुआ करते थे, आज जरूरतों ने रुख बदल लिया और इनकी बजाये अब स्वांसों (ऑक्सीजन) ने ले ली है। जिन्हें संभाल पाना मुश्किल सा नजर आता है। इस सब बदलते परिवेश में रिश्तों ने भी अपना असर दिखाना शुरू किया है जो की वर्षों से चली आ रही कोई नयी बात नहीं, परन्तु आज भी एक रिश्ता है जिसे बदलना असंभव है। वह है "माँ"। "माँ" एक अपनत्व का एहसास है, एक सहारे का एहसास, यह एक एहसास ही तो है जो हर मुसीबत से बहार निकाल लेता है। यह मात्र एक शब्द है परन्तु सम्पूर्ण श्रष्टि इसमें समायी है।
इस महामारी के बीच आज हम सब घरों में कैद हैं। परन्तु अंदर की बात तो यह कि क्या वाकई हम अपने आप को क़ैद मानते हैं ? शायद इसका जवाब हम सभी के पास है। इस पुरे लॉक-डाउन समय में फ्रंट-लाइन वॉरियर के साथ शायद किसी का ध्यान एक व्यक्ति पर नहीं गया, वह है "माँ"।
इसी अनुभूति को कंटेम्परेरी आर्टिस्ट सौरभ भट्ट ने अपनी पेन्टिंग में चित्रित किया है। इस पेंटिंग में भट्ट ने उस एहसास को चित्रित किया जिसे सिर्फ एक माँ और उसका शिशु ही महसूस कर सकता है। दिल की गहराइयों को छू जाने वाली यह नायाब कलाकृति राजा रवि वर्मा आदरांजलि नेशनल आर्ट एक्सिबिशन में भी कलाकारों और कला-प्रेमियों के आकर्षण का केंद्र रह चुकी है।
इस कलाकृति में सौरभ भट्ट ने मातृत्व प्रेम को बखूबी ब्लैक एंड वाइट कलर्स और टेक्सचर्स से सजाया है। इस पेंटिंग से भट्ट यह भी सन्देश देना चाहते हैं कि समाज में प्रत्येक व्यक्ति को प्रत्येक स्त्री के प्रति आदर-सम्मान की भावना को जाग्रत करना होगा, तभी समाज सुढ़ृड़ एवं सशक्त बन पायेगा। इसी अनुभूति को सर्वोपरि मान भट्ट ने अपनी कल्पनाको कैनवास पर चित्रित किया है।
Sourabh Bhatt
An Indian Artist, Writer, and Director of
ALOK ART GALLERY
Thursday, May 6, 2021
एक प्रयास... Article published 2021
एक प्रयास... Article published 2021
I am happy to share with you, this is the first time, being a writer and one of my favorite articles is *"एक प्रयास..."* along with visuals (which were captured by me) published in *"आत्मा की ज्वाला"* newspaper and another e-paper published this article in their digital paper *"PRESSNOTE.in"*, and encouraged me as an honor for my extraordinary talent.
इस
चहों दिशाओं फैले दुःख भरे बादलों में से यह एक
खुशी की फुँहार ही
तो है जिसने मैं,
आप और हम सभी
को सुअवसर प्रदान किया, ताकि इस मूल्यवान समय
को गवाए बिना, प्रत्येक जन अपनी प्रतिभा
के अनुसार कई नए अवसरों
को पैदा कर सके, और
खुश रहने की वजह तलाश
सके।
शायद
इस लेख से किसी एक
के जीवन में फिर नई जीने की
आस जाग उठे। इसीलिए जो मैं महसूस
करता हूँ, वह मैं लिखता
हूँ, हर दिन, हर
पल, करता हूँ फिर एक प्रयास...
अगर आपको मेरा यह "एक प्रयास..." पसंद आता है तो मुझे लिख भेजिए। आपको मेरे विचार कैसे लगते हैं मुझे जरूर बताइये।
आज के लिए बस इतना ही। कल फिर नए विचार, नए थॉट के साथ...
फिर
एक बार,
सौरभ की कलम से...